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    बीटेक स्टूडेंट फर्जी मुठभेड़ मामले में 12 पुलिसवालों पर होगा केस, गौतमबुद्ध नगर की अदालत का आदेश

    ग्रेटर नोएडा: उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले की सीजेएम कोर्ट ने थाना जेवर के तत्कालीन प्रभारी समेत 12 पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज करने का आदेश दिया है। इन पर आरोप है कि उन्होंने बीटेक के छात्र को जबरन कस्टडी में रखा, मारपीट की और फर्जी मुठभेड़ दिखाया। पीड़ित छात्र के पिता ने इस मामले में पुलिस से शिकायत की थी। पुलिस से शिकायत करने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई तो पीड़ित छात्र के पिता ने कोर्ट में अर्जी दी थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने आदेश जारी किया।

    अदालत के अधिवक्ता पंडित सीपी गौतम ने बताया कि मथुरा के तरुण गौतम ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। तरुण का आरोप है कि 4 सितंबर 2022 को देर शाम कुछ पुलिसकर्मी बिना वर्दी के उनके घर पहुंचे। उन्होंने खुद को पुलिसकर्मी बताते हुए गाली-गलौज की। घर में तोड़फोड़ कर अलमारी से रखे 22 हजार रुपये निकाल लिए। इसके बाद उन्हें जबरन गाड़ी में डालकर अज्ञात स्थान पर ले जाकर पीटा।

    बेटे पर शक और परिवार के लोगों को पीटा

    पुलिसकर्मियों ने पूछा कि उनका बेटा कहां है। पुलिस ने कहा कि थाना जेवर क्षेत्र के नीमका गांव में एक मर्डर हुआ था, उसमें उनके बेटे का नाम सामने आया है। इस पर पीड़ित ने बताया कि उनका बेटा बीटेक की पढ़ाई कर रहा है और दिल्ली में कोचिंग करता है। पुलिसकर्मी बेटे सोमेश गौतम की तलाश में उन्हें दिल्ली लेकर गए। जहां उनके बेटे को बुरी तरह पीटा गया और जबरन थाना जेवर लाया गया।

    बेटे के पैर में गोली मार दी

    पीड़ित का कहना है कि पुलिस उनके बेटे को अज्ञात जगह पर लेकर गए। वहां बेटे के आंखों पर पट्टी बांधकर पैर में गोली मार दी। पुलिस ने इस घटना को फर्जी मुठभेड़ का रूप दे दिया। इसके बाद में उसके खिलाफ कई फर्जी केस दर्ज कर दिए गए। पीड़ित का आरोप है कि उन्होंने कई बार इस घटना की शिकायत उच्चाधिकारियों से की, लेकिन उनकी ओर से मामले में किसी प्रकार की कोई सुनवाई नहीं हुई।

    आखिर में थक हार कर न्याय की उम्मीद में पीड़ित ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अधिवक्ता ने बताया कि पीड़ित की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने थाना जेवर के तत्कालीन प्रभारी समेत 12 पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने आदेश में लिखा है कि विपक्षी लोक सेवक है। इसके चलते केस दर्ज करने से पहले पुलिस कमिश्नर से अनुमति प्राप्त करना अति आवश्यक है।

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