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    इलाहाबाद हाई कोर्ट में अनिश्चितकालीन हड़ताल का एलान, जज यशवंत वर्मा की नए सिरे से हुई संस्तुति पर भड़के वकील

    प्रयागराज: दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर मिले करोड़ों रुपये कैश का मामला देशभर में छाया हुआ है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उन पर कार्रवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट भेज दिया है। उनके ट्रांसफर का इलाहाबाद बार एसोसिएशन लगातार विरोध कर रहा है। साथ ही महाभियोग की मांग कर चुका है। इस बीच, इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकीलों ने बड़ा फैसला लिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकीलों ने यशवंत वर्मा के ट्रांसफर के विरोध में कल से अनिश्चितकालीन हड़ताल का एलान किया है।

    इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने बताया कि 24 मार्च सोमवार को सायंकाल 06:00 बजे हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी की एक आकस्मिक बैठक आहुत की गई। इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन और अधिवक्ताओं द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि 25 मार्च (मंगलवार) को इलाहाबाद हाई कोर्ट में न्यायिक कार्य नहीं करेंगे। महासचिव विक्रांत पांडे ने बताया कि 26 मार्च (बुधवार) से फोटो एफिडेविट सेंटर भी न्यायिक कार्य से विरत रहने के फलस्वरूप अनिश्चितकाल के लिए बंद किया जाता है।

    जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर 14 मार्च, 2025 को आग लगने के बाद नकदी मिलने का मामला सामने आया था। वहीं, जस्टिस यशवंत वर्मा ने इन आरोपों को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि यह उन्हें फंसाने की साजिश है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय की जांच रिपोर्ट जारी की है। कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर करने की सिफारिश की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जस्टिस वर्मा के घर से नकदी मिलने का उनके ट्रांसफर से कोई संबंध नहीं है।

    सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च को इस मामले पर एक बयान जारी किया था। कोर्ट ने कहा कि जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से नकदी मिलने की खबर का उनके इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर से कोई लेना-देना नहीं है। कोर्ट ने साफ किया कि ट्रांसफर की सिफारिश पहले ही की जा चुकी थी।

    वहीं, सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने भारत के प्रधान न्यायाधीश से यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की सरकार से सिफारिश करने का अनुरोध किया। बार एसोसिएशन की आम सभा में सोमवार को पारित प्रस्तावों की जानकारी मीडिया को देते हुए इसके अध्यक्ष अनिल तिवारी ने बताया कि एसोसिएशन की मांग है कि भारत के प्रधान न्यायाधीश को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही के लिए सरकार से तत्काल सिफारिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बार एसोसिएशन, न्यायमूर्ति वर्मा का इलाहाबाद उच्च न्यायालय या इसकी लखनऊ पीठ या किसी अन्य उच्च न्यायालय में स्थानांतरण के किसी भी प्रस्ताव के खिलाफ है।

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